भादो माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन गणेश जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है।

इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को मनाई जाएगी। 31 अगस्त को गणपति स्थापना के 10 दिन बाद यानी 9 सितंबर को विसर्जन होगा। इस मौके पर आइए जानते हैं गणेश जी के जन्म की पूरी कथा के बारे में...

शिवपुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती की आज्ञा का पालन करने में नंदी से कोई त्रुटि हो गई, तो माता पार्वती ने सोचा कि कोई ऐसा होना चाहिए, जो केवल उनकी आज्ञा का पालन करें।

उन्होंने अपने शरीर पर उबटन लगाई थी। अपने शरीर से इस उबटन को उतार कर उन्होंने एक बालक की आकृति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। इस प्रकार गौरी पुत्र गणेश का जन्म हुआ।

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बालक गणेश का कटा हुआ सिर देखकर माता पार्वती ने शिवजी से कहा कि आपने मेरे बेटे का सिर काट दिया, इसे जीवित कीजिए। शिवजी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है? इसके बाद पार्वती ने शिवजी को पूरी कथा बताई। शिवजी ने पार्वती को मनाते हुए कहा कि ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए।

गरूड़ जी उस शिशु हाथी का सिर ले आए। इसके बाद शिव जी ने बालक के शरीर से शिशु हाथी का सिर जोड़ दिया। साथ ही उसमें प्राणों का संचार कर दिया। उनका नामकरण कर दिया। इस तरह श्री गणेश को हाथी का सिर लगा।